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EPF और EPS : जानें कौन सा है आपके रिटायरमेंट के लिए बेहतर? जानिए पूरी जानकारी!

नई दिल्ली: अगर आप किसी भी कंपनी में काम करते हैं, तो आपने EPF (कर्मचारी भविष्य निधि) और EPS (कर्मचारी पेंशन योजना) के बारे में सुना होगा। दोनों ही स्कीम्स कर्मचारियों के रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दोनों में क्या फर्क है? अगर नहीं, तो इस लेख में हम आपको इन दोनों स्कीम्स के बीच के महत्वपूर्ण अंतर समझाएंगे।

EPF (Employees’ Provident Fund) क्या है?
EPF एक रिटायरमेंट सेविंग स्कीम है, जहां कर्मचारियों और नियोक्ताओं द्वारा हर महीने एक निश्चित राशि जमा की जाती है। इस राशि पर हर साल ब्याज मिलता है, जिसे कर्मचारी अपनी नौकरी छोड़ने, सेवानिवृत्ति के समय या कुछ खास परिस्थितियों में निकाल सकता है। EPF का मुख्य उद्देश्य कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद वित्तीय स्वतंत्रता देना है।

EPS (Employees’ Pension Scheme) क्या है?
EPS, EPF का ही एक हिस्सा है, जो कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक नियमित पेंशन प्रदान करता है। EPS का योगदान कर्मचारी की सैलरी से नहीं होता, बल्कि इसका भुगतान नियोक्ता द्वारा किया जाता है। इसका लाभ कर्मचारी को तभी मिलता है, जब वह कम से कम 10 साल की नौकरी कर चुका हो।

Employee-Pension-Scheme-EPS

EPF और EPS के बीच प्रमुख अंतर

मूल्यांकन EPF (Employees’ Provident Fund) EPS (Employees’ Pension Scheme)
योगदान कर्मचारी और नियोक्ता दोनों योगदान करते हैं केवल नियोक्ता योगदान करता है
योगदान दर (%) 12% (बेसिक वेतन + डीए) 8.33% (नियोक्ता के योगदान का हिस्सा)
रिटर्न ब्याज दर के आधार पर कोई ब्याज नहीं, पेंशन के रूप में लाभ मिलता है
निकासी नौकरी के दौरान आंशिक निकासी संभव पेंशन केवल रिटायरमेंट या कुछ विशेष मामलों में
कुल योगदान 12% (कर्मचारी) + 3.67% (नियोक्ता) 8.33% (नियोक्ता)
पेंशन योग्यता N/A कम से कम 10 साल की नौकरी आवश्यक
ब्याज दर सरकार द्वारा तय किया जाता है N/A
फायदा किसे मिलता है? निकासी के समय कर्मचारी को पेंशन के रूप में कर्मचारी को

EPF और EPS के फायदे

EPF के फायदे:

  1. रिटायरमेंट के बाद वित्तीय स्वतंत्रता: EPF कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद बड़ी राशि प्रदान करता है, जिससे वे अपनी ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं।
  2. ब्याज दर का लाभ: EPF में जमा राशि पर हर साल सरकार द्वारा तय की गई ब्याज दर मिलती है।
  3. आंशिक निकासी का विकल्प: नौकरी के दौरान कुछ खास परिस्थितियों में कर्मचारी अपने EPF अकाउंट से आंशिक राशि निकाल सकता है, जैसे घर खरीदना, बच्चों की शिक्षा या शादी आदि।

EPS के फायदे:

  1. नियमित पेंशन: EPS कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद हर महीने नियमित पेंशन प्रदान करता है, जिससे उनकी मासिक आय सुनिश्चित होती है।
  2. पेंशन लाभ: EPS के तहत पेंशन की राशि कर्मचारी की सेवा अवधि और अंतिम वेतन पर निर्भर करती है। लंबे समय तक काम करने वाले कर्मचारियों को अधिक पेंशन मिलती है।
  3. परिवार को सुरक्षा: EPS के तहत कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके परिवार को पेंशन का लाभ मिलता है।

कौन बेहतर है?

दोनों योजनाओं के अलग-अलग फायदे हैं, और दोनों ही कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती हैं। अगर आप तुरंत बड़ी रकम चाहते हैं, तो EPF आपके लिए बेहतर है। लेकिन अगर आप मासिक पेंशन के रूप में एक स्थिर आय चाहते हैं, तो EPS आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इसीलिए, नौकरी के दौरान दोनों योजनाओं का लाभ उठाना सही होता है ताकि आप रिटायरमेंट के बाद किसी भी वित्तीय परेशानी का सामना न करें।

निष्कर्ष:

EPF और EPS दोनों ही महत्वपूर्ण योजनाएं हैं, जो कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती हैं। जहाँ EPF तत्काल बड़ी राशि प्रदान करता है, वहीं EPS से रिटायरमेंट के बाद नियमित मासिक आय सुनिश्चित होती है। दोनों योजनाओं का सही तरीके से इस्तेमाल करके आप अपने रिटायरमेंट को सुरक्षित और समृद्ध बना सकते हैं।

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