Site icon Khaber Times

भारतीय हिंदू नहीं समझते बांग्लादेशी हिंदुओं के संघर्ष को: वे असहाय नहीं हैं, बस अपने अधिकारों की मांग को बुलंद करना चाहते हैं

नई दिल्ली: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की स्थिति को लेकर भारतीयों में अक्सर चिंता और सहानुभूति की भावना देखी जाती है।हाल ही में बांग्लादेश में राजनितिक उथल पुथल के दौरान अल्पसंख्यक समुदायों ,विशेषकर हिन्दुओ ,को कई चुनौतियों सामना करना पड़ा है लेकिन भारीतय हिन्दू सुमदाय के बीच इन चुनौतियों को लेकर काफी ग़लतफ़हमिया है। हालांकि, कई बार भारतीय हिंदू बांग्लादेशी हिंदुओं की वास्तविक स्थिति और उनके संघर्ष को पूरी तरह से नहीं समझ पाते। बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू असहाय नहीं हैं, बल्कि वे अपने अधिकारों और सुरक्षा के लिए संघर्षरत हैं। उनकी मुख्य मांग यही है कि बांग्लादेश एक समावेशी और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना रहे।

बांग्लादेशी हिंदुओं के समुदाय का इतिहास और योगदान-

बांग्लादेश के इतिहास में हिन्दू समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 1971 के मुक्ति संग्राम ,बंगाली भाषा आंदोलन और लोकतंत्र की स्थपना के संघर्ष में हिन्दुओ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है इसके बावजूद भारतीय हिन्दुओ के बीच ये धारणा है कि बांग्लादेशी हिन्दू समुदाय असहाय है और केवल तानाशाही सरकार ही उनकी रक्षा कर सकती है। जो की एक मिथक है .

शेख हसीना की भूमिका और वास्तविकता

कुछ भारतीयों का मानना है की पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना ही बांग्लादेशी हिंदुओं की एक मात्र रक्षक थी लेकिन सच्चाई ये है कि बंगलादेशी हिन्दू समुदाय ने अपने अधिकारों की माँग के लिए खुद संघर्ष किया है। हाल की घटनाओ में देखा गया है की हसीना के पद से हटने के बाद भी हिन्दू समुदाय ने संघटित होकर अपनी आवाज़ उठाई और अन्य समुदायों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर अपना समर्थन जताया है .

Bangladeshi Prime Minister Sheikh Hasina speaks during a press briefing in Dhaka .

अमेज़न एफिलिएट लिंक

मौजूदा स्तिथि और भारतीय हिन्दुओ के संदेश :

आज बांग्लादेशी हिन्दुओ के समुदाय एक बार फिर अपने अधिकारों और सुरक्षा की मांग कर रहे है। वे चाहते है कि बांग्लादेश सरकार एक अल्पसख्यक मामलो के मंत्रालय की स्थापना करे और संसद में अल्पसंख्यको के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दे। यह मांगे इस बात के तरफ इशारा करती है कि बंगालदेश हिन्दू समुदाय अपने देश में समावेशिता और धर्मनिरपेक्षता सुनिश्चित करने के लिए लड़ रहा है।

बांग्लादेशी हिन्दू अपनी मांगो को वैश्विक स्तर पर सुनना चाहते है। जिससे उनके देश में समावेशिता और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा हो सके। भारतीय हिन्दुओ को अफवाहों और गलत सूचनाओं के जाल में फशने के बजाये बांग्लादेशी हिंदुओं की आवाज़ को सही ढंग से सुनना और समर्थन करना चाहिए।

 

 

Exit mobile version