पेरिस पैरालम्पिक 2024 के दूसरे दिन भारत के लिए ऎतिहासिक पल ले कर आया जब भारतीय निशाने बाज़ अवनि लेखरा और मोना अग्रवाल ने 10 मीटर एयर राइफल फाइनल (SH 1 ) में अपना जलवा दिखाया। ये मुकाबला न केवल रोमांचक था बल्कि भारत के लिए एक स्वर्णिम अवसर भी साबित हुआ। आइये जानते है इन दोनों खिलाड़ियों के प्रदर्शन और उनकी यात्रा के बारे में।
पेरिस पैरालम्पिक 2024
अवनि लेखरा: राजस्थान की अवनि लेखरा ने पैरालम्पिक खेलों में पहले ही अपने नाम कई रिकॉर्ड किए हैं। अवनि लेखरा जो 11 साल की उम्र में एक कार दुर्घटना के बाद से व्हील चेयर पर है। उन्होंने टोक्यो पैरालम्पिक 2020 में निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा था। अवनि अपनी मानसिक शक्ति और धैर्य के लिए जानी जाती हैं। पेरिस पैरालम्पिक में उनकी निगाहें फिर से स्वर्ण पर टिकी हैं। उनकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं, और उन्होंने कहा है कि इस बार का सफर चुनौतीपूर्ण लेकिन उत्साहवर्धक है।
अवनि ने पेरिस पैरालम्पिक 2024 में 10 मीटर एयर राइफल सैंडिंग SH 1 इवेंट के क्वालिफिकेशन में 625.8 का स्कोर किया और दूसरे स्थान पर रही। उन्होंने फाइनल में अपनी जगह पक्की की जहाँ उन्होंने 19 शॉट्स के बाद मोना अग्रवाल के साथ स्वर्ण पदक की होड़ में बराबरी की। उनके निरंतरता और धैर्य ने उन्हें टॉप स्थान पर बबनाये रखा जबकि उन्होंने 10. 7 और 10.9 जैसे शानदार स्कोर किये। उनके सटीक शॉट्स ने ये साबित किया कि वह एक बार फिर से भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने की तैयारी में है।
मोना अग्रवाल: मध्य प्रदेश की मोना अग्रवाल भी किसी से कम नहीं हैं। वो अपने क्षेत्र में लगातार मेहनत कर रही हैं और उनकी तकनीकी विशेषज्ञता और अनुभव उन्हें स्वर्ण पदक की प्रमुख दावेदार बनाते हैं। मोना ने अपनी प्रेरणा को मजबूत रखते हुए कहा है कि वह देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। उनके लिए यह सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि अपने सपनों को साकार करने का माध्यम है। वह दो बार की वर्ल्डकप स्वर्ण पदक विजेता है। पेरिस पैरालम्पिक 2024 में उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल SH 1 के फाइनल में लिए 623.1 अंक के साथ 5 वे स्थान पर क्वालीफाई किया। फाइनल में मोना ने शानदार शुरुवात की और शुरुआती शॉट्स में 10.7 और 10.4 का स्कोर किया। उन्होंने न केवल अवनि के साथ कदम मिलाकर स्वर्ण पदक की दौड़ में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई बल्कि अंतिम क्षणों में 0.1 अंको की बढ़त भी हासिल की।
स्वर्ण पदक की होड़: पेरिस पैरालम्पिक 2024 में दोनों खिलाड़ियों के बीच यह होड़ केवल एक प्रतिस्पर्धा नहीं है, बल्कि यह भारतीय पैरालम्पिक खेलों के लिए एक प्रेरणादायक कहानी है। अवनि और मोना, दोनों ही अपने व्यक्तिगत संघर्षों और कड़ी मेहनत से यहां तक पहुँची हैं। उनका यह सफर न केवल उनके लिए, बल्कि हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
देश की उम्मीदें: भारत की जनता इन दोनों खिलाड़ियों से बहुत सी उम्मीदें रख रही है। पेरिस पैरालम्पिक 2024 में उनकी सफलता देश के खेल इतिहास में एक सुनहरा अध्याय जोड़ सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा खिलाड़ी स्वर्ण पदक जीतकर इस होड़ को अपने नाम करता है।
अवनि लेखरा के लिए यह पेरिस पैरालम्पिक एक महत्वपूर्ण अवशर है क्यों की वह 3 प्रमुख इवेंट्स में हिस्सा ले रही है : महिलाओ की 10 मीटर एयर राइफल स्टेंडिंग SH 1 , मिक्स्ड 10 मीटर एयर राइफल प्रोन ,और महिलाओ की 50 मीटर राइफल 3 पोजिशंस SH 1 , इसी तरह मनीष नरवाल भी पुरषो के 10 मीटर एयर पिस्टल SH 1 में देश के लिए एक और पदक की उम्मीद बने हुए है।
अवनि लेखरा और मोना अग्रवाल की स्वर्ण पदक की यह होड़ सिर्फ एक खेल की प्रतियोगिता नहीं है, यह उनके आत्मविश्वास, प्रतिबद्धता, और भारतीय खेल जगत के उज्ज्वल भविष्य की कहानी है। पेरिस पैरालम्पिक 2024 में इन दोनों खिलाड़ियों की इस रोमांचक होड़ को देखने के लिए पूरे देश की नजरें उन पर टिकी हैं।