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न्यूयॉर्क में PM मोदी ने की दिग्गज टेक सीईओ के साथ विशेष बैठक, जानें क्या हैं भारत के लिए बड़े फायदे!

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का न्यूयॉर्क दौरा दुनियाभर में सुर्खियां बटोर रहा है। इस बार उन्होंने वैश्विक तकनीकी जगत के दिग्गजों के साथ एक खास गोलमेज बैठक में भाग लिया। न्यूयॉर्क में आयोजित इस हाई-प्रोफाइल बैठक में दुनिया के सबसे बड़े तकनीकी कंपनियों के सीईओ शामिल हुए। इस बैठक का उद्देश्य था, भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना।

मोदी का डिजिटल इंडिया विजन

PM मोदी ने इस बैठक में अपने बहुप्रशंसित “डिजिटल इंडिया” अभियान को विस्तार से रखा। उन्होंने बताया कि कैसे भारत में तकनीकी प्रगति ने ग्रामीण इलाकों तक इंटरनेट और डिजिटल सुविधाएं पहुंचाई हैं। मोदी ने कहा, “भारत में टेक्नोलॉजी सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि एक परिवर्तनकारी शक्ति बन चुकी है। हमारी सरकार इस बात पर ध्यान दे रही है कि कैसे तकनीक का इस्तेमाल करके आम आदमी की जिंदगी को आसान बनाया जा सके।”

इस अवसर पर मोदी ने स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया, और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों पर भी चर्चा की। उन्होंने वैश्विक तकनीकी जगत को भारत में निवेश करने का आग्रह किया और बताया कि कैसे भारत आज नवाचार (इनोवेशन) का हब बनता जा रहा है।

बैठक में शामिल हुए दिग्गज टेक लीडर्स

इस बैठक में एप्पल के सीईओ टिम कुक, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला, और एमेज़ॉन के सीईओ एंडी जेसी सहित कई नामचीन उद्योगपतियों ने भाग लिया। सभी टेक लीडर्स ने भारत के तेजी से बढ़ते तकनीकी बाजार की तारीफ की और इसे भविष्य की संभावनाओं से भरा हुआ बताया।

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नए निवेश के अवसर

बैठक के दौरान भारत में तकनीकी निवेश के नए अवसरों पर चर्चा की गई। कई कंपनियों ने भारत में अपने निवेश को बढ़ाने की इच्छा जाहिर की, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्लाउड कंप्यूटिंग, और फिनटेक के क्षेत्र में। एप्पल और गूगल जैसी कंपनियों ने भारत में अपने रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) केंद्र स्थापित करने की योजना पर बात की।

प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत में निवेश सिर्फ आर्थिक विकास का साधन नहीं है, बल्कि यह मानवता के लिए बेहतर भविष्य का मार्ग है। हम तकनीकी क्षेत्र में सहयोग को नए स्तर पर ले जाने के लिए तैयार हैं।”

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा सिक्योरिटी पर जोर

बैठक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डेटा सिक्योरिटी, और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर भी गहन चर्चा हुई। टेक कंपनियों ने भारत में AI और क्लाउड तकनीक की संभावनाओं को लेकर अपनी योजनाओं का खुलासा किया। साथ ही डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी के मुद्दों पर भी सहमति बनी कि तकनीकी विकास के साथ-साथ इन पहलुओं पर भी ध्यान देना जरूरी है।

भारत के लिए क्या हो सकते हैं फायदे?

यह बैठक भारत के तकनीकी भविष्य के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था के बढ़ते कदमों को देखते हुए, वैश्विक कंपनियां अब भारत को एक प्रमुख तकनीकी बाजार के रूप में देख रही हैं। भारत की युवा जनसंख्या, जो तकनीक की ओर तेजी से बढ़ रही है, इसके पीछे एक बड़ा कारण है। यह बैठक भारत को ग्लोबल टेक्नोलॉजी हब बनाने के मोदी सरकार के सपने को और मजबूत करती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बैठक से निकले समझौतों और निवेश से भारत में नई नौकरियों का सृजन होगा, तकनीकी शिक्षा का स्तर बढ़ेगा, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस जैसे क्षेत्रों में भारत की साख मजबूत होगी। इसके अलावा, यह बैठक भारतीय स्टार्टअप्स के लिए वैश्विक कंपनियों से निवेश और तकनीकी साझेदारी के अवसर भी लेकर आएगी।

निष्कर्ष:
न्यूयॉर्क में आयोजित यह बैठक भारत और दुनिया के तकनीकी संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा भारत को एक वैश्विक तकनीकी नेता के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। अब देखना होगा कि इस बैठक से भारत के टेक्नोलॉजी और इनोवेशन क्षेत्र में कैसे बदलाव आते हैं और इसका देश के भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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