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अमूल का बड़ा खुलासा: ‘हमने तिरुपति मंदिर को कभी घी सप्लाई नहीं किया!’ लड्डू विवाद में नया मोड़

नई दिल्ली: तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू को लेकर चल रहे विवाद ने हाल ही में नया मोड़ ले लिया है। देश की सबसे बड़ी दुग्ध उत्पादक कंपनी अमूल ने साफ शब्दों में कहा है कि उसने कभी भी तिरुपति मंदिर को घी की आपूर्ति नहीं की है। यह बयान उस समय आया जब लड्डू के घटिया गुणवत्ता को लेकर विवाद गहराता जा रहा है।

तिरुपति लड्डू, जिसे श्रद्धालु भगवान वेंकटेश्वर का पवित्र प्रसाद मानते हैं, उसकी गुणवत्ता को लेकर लगातार शिकायतें आ रही थीं। कई लोगों का आरोप था कि लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी की गुणवत्ता गिर गई है, जिसके बाद यह अफवाह फैलने लगी कि अमूल इस घी की आपूर्ति कर रहा है। अमूल ने इन आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया है और इस मुद्दे पर अपना पक्ष स्पष्ट किया है।

अमूल का स्पष्ट बयान

अमूल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया, “हमने तिरुपति बालाजी मंदिर को कभी घी सप्लाई नहीं किया। यह हमारे नाम को बदनाम करने की कोशिश है। अमूल की प्रतिष्ठा उसकी उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों पर आधारित है, और हम इस तरह के झूठे आरोपों का कड़ा विरोध करते हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि अमूल के उत्पाद हमेशा से अपने ग्राहकों की पसंद रहे हैं और कंपनी कभी भी किसी भी तरह के घटिया उत्पाद की आपूर्ति नहीं करती है, खासकर धार्मिक स्थलों के लिए।

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लड्डू विवाद की जड़

तिरुपति लड्डू, जिसे जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग भी प्राप्त है, उसकी गुणवत्ता को लेकर मंदिर प्रशासन पर कई सवाल उठ रहे हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि लड्डू का स्वाद पहले जैसा नहीं रहा और इसमें इस्तेमाल किए जा रहे घी की गुणवत्ता भी कम हो गई है।

इस विवाद ने तब तूल पकड़ा जब कुछ लोगों ने दावा किया कि लड्डू में इस्तेमाल होने वाला घी अमूल द्वारा सप्लाई किया जा रहा है। इस आरोप के बाद, अमूल ने तुरंत इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण दिया और अपनी छवि को साफ किया।

मंदिर प्रशासन की प्रतिक्रिया

इस पूरे मामले पर तिरुपति मंदिर प्रशासन ने भी अपना पक्ष रखा है। मंदिर के अधिकारियों ने कहा है कि लड्डू की गुणवत्ता को लेकर जांच की जा रही है और जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रसाद की गुणवत्ता उनके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है, और किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

मंदिर प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि अमूल से उनका कोई अनुबंध नहीं है और लड्डू में इस्तेमाल होने वाला घी किसी अन्य स्थानीय आपूर्तिकर्ता से आता है।

सोशल मीडिया पर बवाल

जैसे ही यह विवाद सामने आया, सोशल मीडिया पर भी लोग इस पर प्रतिक्रिया देने लगे। #TirupatiLaddu और #Amul विवाद ट्विटर पर ट्रेंड करने लगे। कुछ लोगों ने इस मामले को लेकर मजाक भी बनाया, तो कुछ ने इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर देखा।

वायरल ट्वीट्स और मीम्स में तिरुपति लड्डू की गुणवत्ता और अमूल के नाम का इस्तेमाल करने पर नाराजगी जाहिर की गई। वहीं, कई श्रद्धालुओं ने मंदिर प्रशासन से अपील की कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और प्रसाद की गुणवत्ता को बेहतर करें।

अमूल के लिए क्या है आगे का रास्ता?

अमूल ने इस पूरे विवाद को पूरी तरह से निराधार बताया है। कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि वे अपने कानूनी अधिकारों का प्रयोग करेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो वे उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे जिन्होंने उनके ब्रांड का नाम बदनाम करने की कोशिश की है।

इसके अलावा, अमूल ने यह भी कहा कि वे इस मुद्दे पर पूरी तरह से पारदर्शी हैं और उनका नाम तिरुपति लड्डू विवाद से किसी भी तरह नहीं जुड़ा है।

निष्कर्ष: क्या होगा लड्डू का भविष्य?

तिरुपति लड्डू, जो भगवान वेंकटेश्वर का प्रसाद है, करोड़ों श्रद्धालुओं के विश्वास का प्रतीक है। इस विवाद से न केवल मंदिर की छवि को धक्का लगा है, बल्कि अमूल जैसी प्रतिष्ठित कंपनी का नाम भी बेवजह इसमें घसीटा गया।

अब देखना यह होगा कि मंदिर प्रशासन इस विवाद को कैसे सुलझाता है और श्रद्धालुओं के विश्वास को दोबारा कैसे हासिल करता है। साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण होगा कि अमूल इस मामले में आगे क्या कदम उठाता है।

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